महागामा : भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज 23 मार्च का तारीख इस दिन को भला कौन भूल सकता है। इसी दिन भारत माता के वीर सपूतों ने हंसते हंसते भारत माँ को आजादी दिलाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। इस दिन को भला कोई कैसे भूल सकता है।
इसके बावजूद कल यानी 23 मार्च को केचुआ चौक महागामा स्थित भारत माँ के वीर सपूत शहीदे आजम सरदार भगत सिंह जी का स्मारक का याद किसी राजनीतिक दलों के नेताओं,कार्यकर्ताओं या फिर किसी अन्य समाजिक कार्यकर्त्ताओं को आया और ना ही पर किसी ने वहाँ पर किसी प्रकार का साफ़-सफाई कराया और ना ही कोई सम्मान दिखाई दिया। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है और आप सोच सकते हैं कि जहां शहीदों को सम्मान नहीं मिल पा रहा है। वहां पर आम लोगों का क्या सम्मान होगा।
आज कल फेसबुक,व्हाट्सएप एवं ट्विटर के बडे-बडे युनिवर्सिटी से पढ़कर निकले लोग केवल फेसबुक पर वीर सपूत जवानों को नमन करते हुए दिखाई दे रहे हैं। वहीं जब हम धरातल की बात करें,तो धरातल पर कुछ और ही बयाँ कर रहे हैं।यूं तो बड़े-बड़े वादे करते हैं स्वच्छ भारत एवं सुंदर भारत बनाने का लेकिन ये वादे आज कल वाटसप,फेसबुक एवं ट्विटर यूनिवर्सिटी तक ही सीमित रह गया हैं।
वैसे तो महागामा में बड़े बड़े नेता एवं बहुत से समाज सेवी संगठन लोग है। इसके बावजूद नया महागामा का सपना दिखाने वाले सभी के सभी व्हाट्सएप, फ़ेकबुक, ट्विटर एवं युनिवर्सिटी तक ही सीमित रह गया है। जबकि यहाँ पर नगर निगम के तहत पूरे महागामा में साफ सफाई का कार्य चालू है। लेकिन केवल और केवल दिखावे भर के लिए रह गया है।
हैरत की बात तो यह है कि शहीदे आजम सरदार भगत सिंह जी के स्मारक पर धूल की मोटी परत जमा हुआ है इसके बावजूद शहीद दिवस पर भी उनके प्रतिमा की साफ सफाई नही की गई है।
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