महागामा विधायक ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह के प्रतीक "हूल दिवस" पर अमर शहीद सिदो-कान्हू प्रतिमा पर माल्यार्पण कर दी श्रद्धांजलि



गोड्डा : महागामा विधायक दीपिका पांडेय सिंह ने आज अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ विद्रोह के प्रतीक हूल दिवस पर अमर शहीद सिदो कान्हू, चाँद भैरव व अन्य वीरों को माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित किया. इस मौके पर उन्हौने कहा कि आदिवासियों के संघर्ष गाथा,  उनके बलिदान तथा अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह के प्रतीक के तौर पर आज हूल दिवस मनाया जा रहा है। हूल दिवस के अवसर पर अमर शहीद सिद्धो-कान्हू, चांद-भैरव और फूलो-झानों सहित सभी वीरों को कोटि-कोटि प्रणाम। इस अवसर पर आइए हम सिद्धो-कान्हों जैसे महापुरुषों को नमन करें तथा उनके पदचिन्हों पर चलने का संकल्प लें।

हूल दिवस प्रत्येक वर्ष 30 जून को मनाया जाता है। भारतीय इतिहास में स्वाधीनता संग्राम की पहली लड़ाई वैसे तो सन 1857 में मनाई जाती है, किन्तु इसके पहले ही संथाल परगना में 'संथाल हूल' या 'संथाल विद्रोह' के द्वारा अंग्रेज़ों को भारी क्षति उठानी पड़ी थी। सिद्धो तथा कान्हो  दो भाइयों के नेतृत्व में 30 जून, 1855 को साहेबगंज जिले के भोगनाडीह गांव से प्रारंभ हुआ था

दीपिका पाण्डेय सिंह ने कहा है कि अंग्रेजों और महाजनों के शोषण दमन के खिलाफ सिदो-कान्हू ने लोगों को संगठित किया था और देश की आजादी के लिए 1855 में अंग्रेजी शासन के खिलाफ विगूल फुंका था। सिदो- कान्हू संथाल विद्रोह के जनक थे। इन्होंने महाजनी प्रथा और अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ संथाल में आवाज बुलंद किया था। इस अभियान में इन्हें इनके दो भाई चांद और भैरव और दो बहन फुलो और झानो का भी भरपूर सहयोग मिला था। 

- ब्यूरो रिपोर्ट, उजागर मीडिया।
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