गोड्डा : महागामा विधानसभा के मेहरमा प्रखंड के अमोर गांव में दलित समुदाय के द्वारा निर्माण कराया जा रहा संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा पर पुलिस प्रशासन ने कतिथ रूप से रोक लगाने व कार्यवाही करने की बात कर रहे थे।
इस मामले को लेकर गुरुवार को भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं के द्वारा मीटिंग व विरोध सभा सभा आयोजित किया गया। वहीं इस मामले को सम्बोधित करते हुए भीम आर्मी के प्रदेश संयोजक रंजीत कुमार ने कहा कि
भारत में बाबा साहब डॉ अम्बेडकर की मूर्ति लगाने पर ही अक्सर क्यों विवाद होता है ? और प्रशासन के साथ कथाकथित सवर्ण जातियों ही विरोध क्यों करती है। अभी देश मे ऐसे..सैकड़ो मामले है । आजादी के सात दशक बाद भी भारतीय गाँवों से छुआछूत जैसी सामाजिक बुराई का अन्त पूर्ण रुप से नहीं हुआ है , बाबा साहब की प्रतिमा का अनावरण ना होना इसका ही एक अप्रतेक्ष उदाहारण है। लेकिन मूर्ती अनावरण वहाँ नहीं हो पाता जहाँ सवर्ण जातियों के लोगों की संख्या अधिक और दलितों की संख्या कम होती हैः सुवर्ण जाति के लोग अपने यहाँ बाबा साहब की प्रतिमा स्थापना को अपना अपमान समझते हैं देश के शासक अर्थात मनुवादियों को किसी भी महापुरूष की लोक प्रियता से एलर्जी नही है, केवल मात्र डॉ. बाबा साहब अम्बेडकर से है क्योंकि "जिन्दा " अम्बेडकर से "मरा" अम्बेडकर ज्यादा खतरनाक है"
इनका विचार अगर समस्त बहुजन अर्थात दलित-पिछड़ा समुदाय में आ गया तो एक झटके में गुलामी की जंजीरे तोड़ने के लिए विद्रोह कर देगा।
विश्व की मशहूर कोलम्बिया यूनिवर्सिटी में अमेरिका डाक्टर भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा स्थापित कर अपने-आप को गौरवान्वित महसूस करता है तो तथाकथित मुख्यधारा का भारतीय समाज उन्हें एकमात्र दलितों-पिछड़ों एवं महिलाओं का मसीहा समझता है बहुजनों के प्ररेणा स्त्रोत बाबा साहिब की मूर्ति लगाने भी देते है तो ओनो कोनो में मुख्या सर्किल या चौराहे पर क्यों नहीं ?
मुझे करना पड़ा मूर्ति अनावरण मामले मेँ अगर कोई कार्यवाही की जाती है तो सबसे पहले हथकड़ी मुझे लगनी चाहिए मैने जनभावनाओ का सम्मान करते हुए यह काम किया है अंजाम जो भी हो और फिर महा पुरुषो का सम्मान करना अपराध नहीं इस पर कहा जा सकता है जो नेता और पार्टियो दलित-आदिवासी हितेशी होने का दम भरती है
बाबा साहब अम्बेडकर की प्रतिमा निर्माण पर रोक यह घटना से सभी की पर्दाफाश करती है दलित-पिछड़ा हितों की बात करने वाले पार्टी गुलामी में बंधे नेताओ के लिए एक सबक हैं, महागामा विधानसभा के लोगों का साहसिक और स्वागत योग्य कदम है | जो बाबा साहब अम्बेडकर की प्रतिमा लगाने को लेकर संघर्ष कर रहे हैं।
वहीं मेहरमा प्रखंड के प्रमुख दिलेश्वरी देवी ने कहा बाबा साहब के संविधान के बदौलत राजनिति करते है उनके दिये आरक्षण से नौकरी व राजनितिक पद पाते है पर सालो से डॉ अम्बेडकर की मूर्ति का अनावरण कर पाने मे असमर्थ रहते है कितनी शर्मनाक है।
आज बाबा साहब की मूर्ति का जबरन ही सही पर संविधानिक रूप से प्रतिमा निर्माण करा कर रहेगें।
दलित समाज की आवाज को बुलंद किया है।
पर मेरी आशंका है की मनुवादी प्रशासन व नेता बाबा साहब डॉ अम्बेडकर की प्रतिमा किसी ना किसी कानूनी विवाद मे उलझाकर उनके प्रतिमा पर रोक लगाने की कदम उठाएंगे। लेकिन में भी बता देना चाहता हूँ केवल बाबा साहब अम्बेडकर की प्रतिमा ही नहीं है ये हमारे स्वाभिमान की है ।और हमारे स्वभिमान के साथ कोई छेड़छाड़ करेगा तो ये किसी भी किम्मत पर बर्दाश्त नही किया जायेगा। यहां के प्रशासन व कुछ लोग जाति मानशिकता से ग्रसित हैं। हमलोग हर हाल में बाबा साहब अम्बेडकर की प्रतिमा स्थापित करके रहेंगे।चाहे इसके लिए जो हो जाये।
इस बीच बाबा साहब अम्बेडकर प्रतिमा समिति का सचिव संजय दास के साथ,प्रवीण नाग,जगनारायण दास, भीम आर्मी के रोहित दास,सौरभ पासवान, अजय मिर्धा,राजेश कुमार,डॉ पंकज दास,विजय दास,इंद्रदेव दास,पवन दास,रमन कुमार, चंदन कुमार,सुधीर तुरी,अजय तुरी आदि उपस्थित थे।
- ब्यूरो रिपोर्ट, उजागर मीडिया।


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