महागामा : मंगलवार को महागामा प्रखंड मुख्यालय अंतर्गत महागामा बाजार, ऊर्जानगर, हरिण चारा, केंचुआ, केसरी टोला, ब्राह्मण टोला, मंडल टोला, सोनार टोला बलिया, तेतरिया, बेलटिकरी, कुसमी सहित अन्य जगह पर अनंत चतुर्दशी बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। वहीं पंडित अरविन्द झा, सतीश झा के द्वारा बताया गया कि अनंत चतुर्दशी व्रत से मिलती अक्षय संपत्ति और यह पर्व भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी का व्रत किया जाता है।
भगवान सत्यनारायण के सामान अनंत चतुर्दशी को भगवान विष्णु का ही एक नाम है। अनंत चतुर्दशी को भगवान विष्णु का दिन माना जाता है। ऐसी मान्यता भी है कि इस दिन व्रत करने वाला वर्ती यदि विष्णु सहस्त्रनाम स्त्रोत का पाठ भी करे तो उसकी वंचित मनोकामना प्राप्ति जरूर होती है।और भगवान श्री हरि विष्णु उस प्रार्थना करने वाले वर्ती पर प्रसन्न होकर उसे सुख संपदा धन- धान्य, यश वैभव, लक्ष्मी, पुत्र आदि सभी प्रकार के सुख प्रदान करते हैं।
इस की पूजन विधि शास्त्रों में बताया गया कि अनंत चतुर्दशी के पूजन में व्रत रखने वाले को सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प करना चाहिए। इसके बाद पूजा घर में संकल्प स्थापित करके कलश पर भगवान विष्णु का चित्र स्थापित करें। इसके बाद कच्चा धागा ले। जिस पर 14 गांठे बांधे। और जब तेयरु हो जाए तब भगवान विष्णु के साथ आनंत सूत्र की षोडशोपचार विधि से पूजन करें। आनंत चतुर्दशी व्रत की कथा महाभारत में कथा है कि जुए में सब कुछ हार जाने के बाद पांडवों को अपना राजपाट गंवा कर वन वन भटकना पड़ा।
ऐसे समय में भगवान श्री कृष्ण युधिष्ठिर को बताया कि आप सभी भाई मिलकर भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्दशी तिथि का व्रत करें। इस व्रत से आनंत भगवान विष्णु और लक्ष्मी देवी की कृपा प्राप्त होती है। इसी व्रत से आपका खोया हुआ राज पाट मिलेगा। श्री कृष्ण की आज्ञा से युधिष्ठिर ने आनंत भगवान का व्रत किया। जिसके प्रभाव से पांडव महाभारत के युद्ध में विजयी हुए तथा चिरकाल तक राज्य करते रहे।
- उजागर मीडिया टीम, महागामा।


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