गोड्डा: मैं पहली बार 2011 में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव और रहमानी सुपर 30 के सर्वोसर्वा जनाब हज़रत मौलाना वली रहमानी साहब से दारुल उलूम देवबंद के गेस्ट हॉउस में मिला था।
देवबंद में बड़ा प्रोग्राम था। मैं अब्बू जान मौलाना अब्दुल हमीद नोमानी साहब के साथ देवबंद गया था।गेस्ट हॉउस में हम सब एक ही दस्तरखान पर बैठकर खाना खाने के वक़्त मिला करते थे। खाना खाने के वक़्त हज़रत ने पूछा आपका विज़न और मिशन क्या है? तभी हमने कहाँ था - इंजीनियर बन मुल्क व मिल्लत के लिए अपना योगदान दूंगा।
मौलाना वली रहमानी साहब मुस्कुराएं और कहा- बेटा अल्लाह तुम्हे कामयाब करें। करीब अब्बू जान भी देख मुस्कुराएं और फिर हम सब आगे बढ़ गए।अल्हम्दुलिल्लाह मौलाना रहमानी साहब, अब्बू जान सहित बड़ों की दुआ कबुल हुवी।
मौलाना रहमानी साहब हिन्दुइस्म और दर्शनशास्त्र पर अब्बू जान की रिसर्च वर्क और अध्ययन को हमेशा सराहा करते थे। मौलाना रहमानी साहब कहते थे की मौलाना नोमानी साहब आप और मौलाना शाहीन जमाली चतुर्वेदी जैसे सेकड़ों विद्वान की मुल्क में जरुरत है ताकि फिरकापरस्त हिन्दुत्वादी को इल्मी जवाब मजबूती से दिया जा सकें।
आज मौलाना वली रहमानी साहब पटना पारस में इंतकाल कर गए! आज मौलाना वली रहमानी साहब हमारे बीच नहीं रहें लेकिन आपके हर लफ्ज़ दिल व दिमाग में गूंज रहा है। मुल्क व मिल्लत के लिए आपके अहम योगदान को दुनिया कभी भुला नहीं सकती. अल्लाह से दुआ है की अल्लाह पाक जन्नत में आला से आला मक़ाम दें।
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