मजदूर का शव गांव पहुँचते ही माहुल हुआ गमगीन, शोकाकुल परिजनों से मिली विधायक

हनवारा: हनवारा थाना क्षेत्र के गढ़ी निवासी ढोड़ी पासवान के 35 वर्षीय पुत्र अंगद पासवान का शव आंध्रप्रदेश से मंगलवार की सुबह उसके पैतृक गांव गढ़ी पहुंचते ही परिजनों के चीत्कार से गांव का माहौल गमगीन हो गया। 

अंगद का शव देखते ही उसकी बूढ़ी माँ- पिता और पत्नी के साथ उसके दो छोटे -छोटे बच्चे दहाड़े मारकर रोते बिलखते देख गांव के अन्य लोगों की आंखें भी नम हो गई। वहीं अंतिम दर्शन के लिए मृतक अंगद का शव पैतृक गांव पहुंचते ही पूरी गांव के लोगों का हुजूम उमड़ पड़ी।
शव गांव पहुंचने के बाद महागामा विधायक दीपिका पांडे सिंह गढ़ी गांव पहुंची और ऐसी हुई दर्दनाक घटना के बारे में दुःख व्यक्त किया।जिसके बाद विधायक ने शोकाकुल परिवार से मिलकर सांत्वना दी और इस दुःख की घड़ी में परिजनों के साथ खड़ी रहने की बात कही साथ ही हर संभव मदद करने की बात कही। 

मृतक अंगद का दाह संस्कार कहलगांव गंगा तट स्थित श्मशान घाट पर किया गया है। मुखाग्नि उसके तीन वर्षीय पुत्र ने दी।

 ज्ञात हो कि बीते शनिवार को अंगद पासवान की मौत आंध्रप्रदेश (बोधबड़ा) पत्थर कारखाने में पत्थर गिरने से हो गई थी। अंगद टाइल्स (पत्थर)का काम करने के दौरान पत्थर के चपेट में आया गया था जिससे वह बुरी तरह से घायल हो गया था। जिसके बाद उनकी मौत हो गई थी।

मिली जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है कि अंगद पासवान दो माह पहले मजदूरी के लिए आंध्रप्रदेश गए थे। और वह दिहाड़ी मजदूरी का काम करता था। बीते शनिवार को टाइल्स(पत्थर) लगाने का काम कर रहा था। जिस दरमियान पत्थर के सम्पर्क में आ गया।और वह बुरी तरह जख्मी हो गए। ऐसी दर्द नाक घटना घटने के बाद सहयोगी द्वारा घटना की जानकारी उनके घर की परिजनों को दी।

जिसके बाद आंध्रप्रदेश के अस्पताल में पोस्टमार्टम करने के एम्बुलेंस से शव को घर लाया गया बताया जाता है कि मृतक युवक एक गरीब परिवार से थे। किसी तरह मजदूरी कर अपना घर परिवार चलाते थे। मृतक युवक को दो छोटे छोटे मासूम बेटा एवं एक बेटी को साथ छोड़कर चले गए। मृतक अंगद पासवान ही परिवार के एक कमाऊ व्यक्ति था।
इसलिए पत्नी के ऊपर छोटे छोटे बच्चों का भरण पोषण करना किसी चुनौती से कम नही है। अंगद पासवान के निधन के बाद परिवारवालों पर दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा है। हालांकि बताया जा रहा है कि इस दुःख की घड़ी में परिजनों का पंचायत के किसी भी जनप्रतिनिधियों ने मदद नहीं किया।
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