कहलगांव /ब्यूरो रिपोर्ट
बालकृष्ण कुमार
बिहार में शिक्षा का स्तर शत प्रतिशत सुधारने और हर एक बच्चा शिक्षित हो इसी मंशा को कामयाब बनाने को लेकर बिहार सरकार द्वारा लाखों रुपए शिक्षा के क्षेत्र में खर्च किए जा रहे हैं।
लेकिन शिक्षा के क्षेत्र को बढ़ाने वाले साहेब सिर्फ तनखाह लेने के लिए स्कूल आते हैं और वो भी सिर्फ रजिस्टर पंजी पर हाजरी देने के लिए। ऐसे ही बात कुछ शिक्षकों की मनमानी के कारण स्कूली बच्चों को झेलनी पड़ रही हैं।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि अगर शिक्षा की अलख जगाने वाले यदि इस तरह करे तो बच्चे कितना शिक्षित हो सकेंगे। जिसका जीता जागता उदाहरण संहौला प्रखंड से आ रही हैं बताया जा रहा है कि सनहौला प्रखंड के मध्य विद्यालय बैजनाथपुर की शिक्षा व्यवस्था चौपट हो गई है।
वहीं छात्र छात्राओं के अभिभावक ने बताया कि विद्यालय में तीन शिक्षक पदस्थापित हैं,लेकिन शिक्षक प्रतिदिन समय पर विद्यालय नहीं आते हैं जबकि सभी शिक्षक आसपास के ही रहने वाले हैं
फिर भी विद्यालय ग्यारह बजे पहुंचते हैं,और हाजिरी बना कर घर चले जाते और अपना खेतीबाड़ी के काम में लग जाते हैं ऐसे में विद्यालय में अध्ययनरत् छात्र-छात्राएं अपने भविष्य को लेकर खासे चिंतित हैं। ग्रामीणों का कहना है कि दो साल तक कोरोना महामारी में विद्यालय बंद रहा जिससे बच्चों की पढ़ाई न के बराबर हुई है।
जबकि स्कूल लगने का समय सुबह 10 से 4 बजे तक का है, लेकिन विद्यालय में कुछ शिक्षक तो स्कूल खुलने के बाद आते हैं और समय के पहले ही चले जाते हैं शुक्रवार को जब सिल्क टीवी चैनल के संवाददाता मध्य विद्यालय बैजनाथपुर स्कूल की स्थिति का जायजा लिया तो पता चला विधालय में तीन शिक्षक हैं एक छुट्टी पर है।
एक प्रभारी प्रधानाध्यापक संतोष कुमार सिंह स्कूल से गायब नजर आए।सनहौला प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी अश्वेवर पांडे से जब इस मामले में फोन पर बात की गई तो उन्होंने कहा विलंब से आने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई किया जायेगा।
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