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शिक्षा मंत्री का फाइल फोटो |
रांची:- झारखंड के शिक्षा मंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के वरिष्ठ नेता रामदास सोरेन का 62 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे बीते दो हफ्तों से दिल्ली के अपोलो अस्पताल में लाइफ सपोर्ट पर थे। शुक्रवार, 15 अगस्त की रात को उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर से झारखंड में गहरा शोक की लहर दौड़ पड़ी है। मुख्यमंत्री,मंत्री,राजनीतिक दलों के नेताओं,सामाजिक संगठनों और आम नागरिकों ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है।
शिक्षा मंत्री का दुर्घटना के बाद बिगड़ी तबीयत
2 अगस्त 2025 को रामदास सोरेन अपने जमशेदपुर स्थित आवास के बाथरूम में फिसलकर गंभीर रूप से घायल हो गए थे। गिरने से उनके सिर में गहरी चोट आई, जिसके बाद डॉक्टरों ने जांच में ब्रेन हेमरेज की पुष्टि की। उन्हें तत्काल जमशेदपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन हालत बिगड़ने पर उन्हें एयरलिफ्ट कर दिल्ली के अपोलो अस्पताल ले जाया गया।
अस्पताल में डॉक्टरों ने उन्हें वेंटिलेटर और लाइफ सपोर्ट पर रखा। परिवार, समर्थक और पार्टी कार्यकर्ता लगातार उनके स्वस्थ होने की प्रार्थना कर रहे थे, लेकिन इलाज के बावजूद उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ और अंततः 15 अगस्त की रात उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके बेटे ने सोशल मीडिया पर यह दुखद खबर साझा की।
राजनीतिक सफर और योगदान
1 जनवरी 1963 को जन्मे रामदास सोरेन झारखंड की राजनीति में एक मजबूत आदिवासी चेहरा माने जाते थे। वे 2009 में घाटशिला विधानसभा सीट से पहली बार विधायक बने। अपनी सादगी और जनता के बीच सक्रिय उपस्थिति के कारण उन्होंने क्षेत्र में गहरी पैठ बनाई। 2019 में वे दूसरी बार विधायक बने और राज्य सरकार में जल संसाधन, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा और स्कूल शिक्षा विभाग का जिम्मा संभाला। 2024 में वे झारखंड के शिक्षा मंत्री बने और शिक्षा के क्षेत्र में कई नीतिगत सुधारों की दिशा में काम किया।
उनके कार्यकाल में ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने, तकनीकी शिक्षा को प्रोत्साहित करने और आदिवासी बच्चों के लिए विशेष छात्रवृत्ति योजनाओं को लागू करने पर विशेष जोर दिया गया। उन्हें एक दूरदर्शी, संघर्षशील और ईमानदार नेता के रूप में जाना जाता था, जो हमेशा अपने क्षेत्र और राज्य के विकास के लिए प्रतिबद्ध रहे।
राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार
रामदास सोरेन की पार्थिव देह को दिल्ली से उनके पैतृक गांव लाया जाएगा, जहां पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। झारखंड सरकार ने उनके सम्मान में राज्यभर में एक दिन का शोक घोषित किया है। इस दौरान सरकारी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा।
जनता की भावनाएं
उनके निधन की खबर सुनते ही घाटशिला और आसपास के इलाकों में लोग गमगीन हो गए। बड़ी संख्या में लोग उनके पैतृक गांव पहुंचने लगे हैं, ताकि उन्हें अंतिम विदाई दे सकें। राजनीतिक विरोधी भी उनके व्यक्तित्व और कार्यों की सराहना कर रहे हैं।
रामदास सोरेन को झारखंड के लोग उनकी सादगी, संघर्षशीलता, और शिक्षा के प्रति समर्पण के लिए हमेशा याद रखेंगे। उनका जाना न केवल झामुमो के लिए, बल्कि पूरे राज्य के लिए एक अपूर्णीय क्षति है।
-जावेद रजा,ब्यूरो रिपोर्ट,उजागर मीडिया
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