वहाब शम्स का निधन जिले वासियों के लिये अपूरणीय क्षति : SERF गोड्डा

गोड्डा : जिले वासियों का मन मस्तिष्क उस समय स्तब्ध हो गया जब लोगों ने खबर सुना के गोड्डा के लाल आम और खास में अपनी पैठ रखने वाले जननेता अब्दुल वहाब शम्स का निधन हो गया. ये खबर स्थानीय लोगों के लिए किसी बड़े हादसे से कम नहीं था. मृत्यु की खबर सुनते ही सबकी आंखें नम हो गईं. वहाब शम्स जनता के बीच काफी लोकप्रिय थे एवं उनके समर्थकों तथा शुभचिंतकों की लंबी लिस्ट थी. वो लंबे समय से अस्वस्थ थे. लगभग 2016 से ही किडनी की बीमारी से ग्रसित थे और पटना दिल्ली रांची एवं अन्य जगहों से निरंतर इलाज चल रहा था. हाल के दिनों में वो काफी स्वस्थ हो चुके थे और जनता के कुशलक्षेम हेतु क्षेत्र का दौरा भी कर रहे थे कि अचानक उनकी तबीयत खराब हो गई. आनन फानन में उन्हें बांका के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां आज 31/10 /2020 को उन्होंने अपनी अंतिम साँस ली. 

वहाब शम्स जी का लंबा राजनैतिक करियर रहा है. वह अपने छात्र जीवन से ही सामाजिक एवं राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने लगे थे. 1986 में सीपीआई जॉइन करने के बाद लगातार जनता की सेवा में लीन रहे. पुनः फुरकान अंसारी के सांसद बनने के बाद सांसद प्रतिनिधि नियुक्त हुए. 2012 में जे वी एम पार्टी जॉइन किया तथा केन्द्रीय समिति सदस्य चुने गए और प्रदीप यादव के साथ जनता की हर लड़ाई में आगे बढ़ कर आवाज बुलंद किया. वह एक शिक्षित, कर्मठ, जुझारू, लगनशील, प्रयत्नशील, ईमानदार, कुशल, योग्य, मुखर एवं समाज की बेहतरी, विकास, सुधार एवं सुदृढ़ और मिलनसार व्यक्ती थे. वर्तमान में वे बसंतराय दक्षिणी से जिला परिषद सदस्य थे और शिक्षा स्वास्थ तथा वन एवं पर्यावरण विभाग समिति के सभापति भी थे. 

वो जन-जन  के नेता थे और जनता के मुद्दों पर ही राजनीति करते थे. उनकी कार्यकुशलता के सभी कायल थे. 

अब्दुल वहाब शम्स का जाना ना केवल बसंतराय  वासियों ब्लकि पूरे गोड्डा वासियों के लिये कभी ना पुर होने वाली क्षति है. आज ही गोड्डा ने अपना एक सच्चा और हितैषी व्यक्ती को सदा के लिए खो दिया है. निःसंदेह उनकी तरह निःस्वार्थ भाव से राजनीति करने वाले व्यक्ति की कमी जिले वासियों को हमेशा खलती रहेगी.. 

शाहीन एजुकेशनल एंड रिसर्च फाउंडेशन के महागामा  अनुमंडल अध्यक्ष श्री असलम आजाद ने वहाब शम्स की मृत्यु पर गहरा शोक प्रकट किया है तथा परिवार वालों के प्रति संवेदनाएँ व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि वो हमारे सगे थे. उनके अंदर जो एक खास बात ये थी कि वह युवाओं को हमेशा प्रेरित किया करते थे. उनका जाना मुझे निजी तौर पर काफी आहत कर रहा है. मुझे ये विश्वास नहीं हो रहा है कि अब में उनसे नहीं मिल पाउंगा. औरफाउंडेशन के सचिव नुरुद्दीन आलम ने कहा कि हमारा फाउंडेशन उनके लिए जन्नत की कामना करता है. अल्लाह उन्हें जन्नत में जगह दे. अमीन

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