हर्षोउल्लास के साथ मना मकरसंक्रांति का त्यौहार, जाने क्या है इस त्यौहार की विशेषता

गोड्डा: उत्साह और खुशियों का त्योहार मकरसंक्रांति गुरुवार को हनवारा क्षेत्रों में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।इस दिन श्रद्धालुओं ने स्नान कर दही,चूड़ा,तिलकुट,आदि का प्रसाद के रूप में ग्रहण किया। जानकारी हो कि इस त्‍योहार को अलग-अलग प्रांतों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है।
 तमिलनाडु में इसे पोंगल के रूप में, तो आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और केरला में केवल संक्रांति के नाम से मनाया जाता है जबकि बिहार और उत्‍तरप्रदेश में इस त्‍योहार को खिचड़ी के नाम से जाना जाता है।उत्‍तरायण को देवताओं का दिन अर्थात् सकारात्‍मकता का प्रतीक माना जाता है। इसीलिए इस दिन जप, तप, दान, स्‍नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों को विशेष महत्‍व दिया जाता है।

 यह माना जाता है कि भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने स्‍वयं उनके घर जाते हैं और शनि मकर राशि के स्‍वामी है। इसलिए इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। पवित्र गंगा नदी का भी इसी दिन धरती पर अवतरण हुआ था, इसलिए भी मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता हैं।महाभारत में पितामाह भीष्‍म ने सूर्य के उत्‍तरायण होने पर ही स्‍वेच्‍छा से शरीर का परित्‍याग किया था।

 इसका कारण यह था कि उत्‍तरायण में देह छोड़ने वाली आत्‍माएं या तो कुछ काल के लिए देवलोक में चली जाती है या पुनर्जन्‍म के चक्र से उन आत्‍माओं को छुटकारा मिल जाता है। जबकि दक्षिणायण में देह छोड़ने पर आत्‍मा को बहुत काल तक अंधकार का सामना करना पड़ सकता है।

स्‍वयं भगवान श्री कृष्‍ण ने भी उत्‍तरायण का महत्‍व बताते हुए कहा है कि उत्‍तरायण के 6 मास के शुभ काल में जब सूर्य देव उत्‍तरायण होते हैं और पृथ्‍वी प्रकाशमय रहती है तो इस प्रकाश में शरीर का परित्‍याग करने से व्‍यक्ति का पुनर्जन्‍म नहीं होता है और ऐसे लोग सीधे ही ब्रह्म को प्राप्‍त होते हैं। 

इसके विपरीत जब सूर्य दक्षिणायण होता है और पृथ्‍वी अंधकार मय होती है तो इस अंधकार में शरीर त्‍याग करने पर पुन: जन्‍म लेना पड़ता है।
अनेक स्थानों पर इस त्‍योहार पर पतंग उड़ाने की परंपरा प्रचलित है।

 लोग दिन भर अपनी छतों पर पतंग उड़ाकर हर्षोउल्‍लास के साथ इस उत्सव का मजा लेते हैं। विशेष रूप से पतंग उड़ाने की प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं। पतंग उड़ाने के पीछे धार्मिक कारण यह है कि श्रीराम ने भी पतंग उड़ाई थी। 

गुजरात व सौराष्‍ट्र में मकर संक्रांति पर कई दिनों का अवकाश रहता है और यहां इस दिन को भारत के किसी भी अन्‍य राज्‍य की तुलना में अधिक हर्षोल्‍लास से मनाया जाता है।
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