हनवारा : कहावत है कि जब खुद जिम्मेदार एवं जनता के मालिक बन जाय तो उनके द्वारा कही गयी बातें जनता के दिलों में खूब चुभती हैं, मगर जब लापरवाह सेवक हो तो उसके सामने वो दर्द के मरहम तक नही देते। जब कोई नया नेता बनता हैं तो ढेरों वादे और आश्वासन देते फिरते हैं।
जब वह नेता धीरे धीरे पुराना होने लगते है तो वो किए गए वादे और दिए गए आश्वासन को धूल की तरह फूँक कर उड़ा देते हैं। बताता चलूं की बीते एक दशक से ग्रामीण क्षेत्र के लोग लगातार मांग करते आ रहे हैं कि हमें भी एक नजदीकी अपना प्रखंड चाहिए। इस मांगो को लेकर कई बार सियासी गलियारों में उथल पुथल भी हुआ था।
कई नए नवेले नेताओ ने गला फाड़ फाड़कर हनवारा को प्रखंड बनाने के लिए आवाजें उठाई। लेकिन हुआ क्या कुछ नहीं। सभी राजनीतिक दलों ने यहां के भोली भाली जनता को सिर्फ मीठी वाणी बोल बोलकर ठगने का काम किया। आखिर ग्रामीण क्षेत्र के गरीब तबके के यह जनता जाए तो कहां, कौन सुने गरीबो की बात को, कौन सोचे समझे उनकी दर्द को, यहां तो सब अपने उल्लू सीधा करने में है।
यह एक ऐसा गरीब बाहुल क्षेत्र हैं जहां लोग दिहाड़ी मजदूरी पर आश्रित हैं। ऐसे में उन्हें 20 से 25 किलोमीटर की यात्रा कर के प्रखंड मुख्यालय तक पहुंचना पड़ता हैं। वो पैदल यात्रा का दौर दूसरा था, यह दौर दूसरा हैं। हर मिनटों मिनटों में सुनने को मिलता हैं कि सूबे की सरकार गरीबों के साथ हैं। लेकिन कहां तक सरकार गरीबो के साथ खड़ा रहती हैं।
यह तो जनता खुद जानती हैं। 20 से 25 किलोमीटर की दूरी तय करके मजबूर जनता प्रखंड कार्यालय महागामा तक किसी तरह पहुंचते हैं। लेकिन जब एक दिन में उसका काम नही हो पाता हैं तो दोबारा उनकी हिम्मत नही होती हैं कि वो फिर से प्रखंड कार्यालय जा सकें। ये उन गरीबों की दास्तान हैं, अमीरों की अमीरी के लिए तो दिल्ली भी दूर नही।
आगे बताते चलें कि महागामा की लोकप्रिय विधायक दीपिका पांडेय सिंह जब कांग्रेस के जिलाध्यक्ष के रूप में क्षेत्र में आया करती थीं तो हर समय यहां के जनता उनसे एक ही सवाल करते थे कि हमें भी नजदीक में अपना प्रखंड चाहिए। तो दीपिका पांडेय सिंह का सीधा जवाब मिलता था कि इसके लिए मैं प्रयासरत हूँ, उग्र आंदोलन करूंगी, हर हाल में हनवारा को प्रखंड का दर्जा दिला कर रहूंगी।
अब तो दीपिका पांडेय सिंह को जनता ने अपने अगुवाई के लिए उन्हें अपना विधायक चुनकर विधानसभा तक पहुंचा दिया। बतौर विधायक दीपिका पांडेय सिंह का यह दूसरा वर्ष चल रहा है। मगर अब तक प्रखंड का दर्जा दिलाने में क्या कदम उठा रहीं हैं यह तो क्षेत्र के जनता को सब मालूम है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या दीपिका पांडेय सिंह बतौर विधायक अपने इन पांच साल के कार्यकाल में ग्रामीण क्षेत्र के इस गरीब जनता की मांग पूरा कर पाते हैं या नहीं।

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