घुस नही देने पर इस बूढ़ी अम्मा को आज तक नसीब नही हुआ पक्की मकान, गुहार लगाते लगाते हार गईं है मोसमात सकीना



हनवारा : इस बूढ़ी अम्मा की आंखें पथरा गईं, पक्का मकान का अरमान आंसुओ में निकल गई। कहाँ फरियाद लेकर जाएं, किनसे लगाएं गुहार। हालात इतनी बदतर हो गई कि अपने आशियानों को छोड़कर पड़ोसी के आशियानों में पनाह ली। इस दौर में गुहार लगाने के लिए भी मोटी रकम की जरूरत होती है साहब, बिन पैसे के अब तो पानी भी नसीब नहीं।

 दर दर भटकतीं रह गईं इस बूढ़ी अम्मा की अरमान, लेकिन हर दरवाजे से महज ठोकरें ही मिलीं। पति का 20 वर्ष पूर्व ही देहांत हो गया। छोटे छोटे नन्हें बच्चों के मुंह देखकर जिंदा रहीं। जब किसी के घर के मुखिया का ही निधन हो जाए तो महसूस कीजिए उनके ऊपर कितनी जिम्मेदारियां आई होंगी। लेकिन ये दुनियां इतनी सितम गर होगी यकीन नही था इन्हें। 

जी हाँ ये दास्तान महागामा प्रखण्ड मुख्यालय के ग्राम पंचायत खोरद के मोसमात सकीना खातून की है। इसकी उम्र लगभग 65 वर्ष है। आधे से अधिक उम्र तो इन्होंने मिट्टी के घर मे जिंदगी गुजर बसर कर ली, इनकी अरमान थी कि पक्का मकान में भी रहकर देखती। 

काश इस बूढ़ी अम्मा के पास भी पैसे रहते तो इन्हें भी प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्का मकान नसीब होता। दिन प्रतिदिन हालात इतनी बिगड़ गई कि बीते दिनों लगातार बारिश होने से इनके घरों की दीवारें भीग कर गिरने के कगार पर आ गई। दीवार गिरने के भय से मोसमात सकीना खातून पड़ोसी के घर मे पनाह लिए हुए है। 

काश इस दर्द को पंचायत के जनप्रतिनिधि, प्रखण्ड प्रशासन, क्षेत्रीय विधायक एवं सांसद समझ सकते। काश सत्ता पर काबिज सूबे की सरकार इस बात को समझते कि उन गरीब बेसहारों के जीवन यापन को बदल दें, लेकिन ये अब होता कहाँ है। मोसमात सकीना बताती है कि आवास के लिए पंचायत के मुखिया एवं पंचायत सचिव को दर्जनों बार इस बारे में कह चुकी हूं, लेकिन किसी ने मेरी मुसीबत को नही समझा। 

एक बार सूची में नाम भी आया था। कुछ बिचौलिया मेरे घर पर आया और सात हजार रुपये मांगने लगा। मैं उतना पैसा नही दे सकी इसलिए मेरा नाम काटकर शहजादपुर गांव के ही किसी का नाम जोड़कर उनका मकान बना दिया गया। तब से ही लगातार प्रयास करती रहीं लेकिन आज तक आवास योजना का लाभ नही ले पाई। 

इधर हाल फिलहाल में अंबेडकर आवास के लिए भी आवेदन किए थे लेकिन मेरा नही हुआ और कॉंग्रेस के कार्यकर्ताओं ने कहा कि पूरे पंचायत में सिर्फ दो ही लाभुकों को देना है इसलिए आपको नही मिल सकता है। अभी हालात ऐसी बन गई है कि मेरे घर का दीवार में दरार आ गई है। कब दीवार गिर जाएगा इसका भरोसा नही है। बगल के ही पड़ोसी के घर मे रहकर किसी तरह जिंदगी काट रही हूं। 

गौरतलब हो कि अधिकांश पंचायत में बिचौलियों के हावी हो जाने से आवास प्लस एवं प्रधानमंत्री आवास योजना से योग्य लाभुक वंचित होते जा रहे है। पंचायत के मुखिया एवं सचिव दोनों मिलकर बिचौलियों के जरिये आवास के नाम पर वसूली करवा रहे है। जो व्यक्ति मोटी रकम दे रहा उन्हीं को आवास का लाभ मिल रहा है। लेकिन इस ओर न तो प्रखण्ड प्रशासन का ध्यान है और ना ही जिला प्रशासन का। 

बिचौलिए इतने हावी हो चुके है कि गरीब तबके के परिवार आज तक मिट्टी के आशियानों में गुजर बसर कर रहे है। आगे मोसमात सकीना बताती है कि मैं खुद खोरद पंचायत के वार्ड नम्बर 13 के वार्ड सदस्य हूँ और मैं ही गुहार लगाती फिर रही हूं। 

ज्ञात हो कि सूबे की मौजूदा सरकार ढिंढोरा पीटते नही थक रहे है कि गरीब परिवार को आवास योजना का लाभ दिया जा रहा है लेकिन सरकार के इस दावे पर ग्राम पंचायत खोरद के मोसमात सकीना, मु मसिउल्लाह सहित ऐसे कई उदाहरण है जो प्रश्नचिन्ह लगा रहा है।  

जो पैसों के अभाव में योग्य लाभुक रहते हुए आवास योजना का लाभ नही ले पा रहे है। मोसमात सकीना खातून की मांग है कि उन्हें सिर छूपाने के लिए सरकार एक आशियाना दे दे। 

-उजागर मीडिया टीम, हनवारा। 

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