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शव को देखने के लिए उमड़ी भीड़ |
कहलगांव: सन्हौला प्रखंड अंतर्गत अरार गांव में उस समय कोहराम मच गया जब आंध्रप्रदेश मजदूरी करने गए मजदूर मु० साजन की मौत हो गई थी। मंगलवार को पांच दिन बाद उसका शव एम्बुलेंस से गांव पहुंचा। अरार गांव निवासी शमसुल के 28 वर्षीय पुत्र मु० साजन पेशे से मजदूरी करता था और अपने परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य थे। गांव पहुंचते ही माहौल गमगीन हो गया,चारों ओर से ग्रामीण उमड़ पड़े, हर कोई नम आंखों से साजन को अंतिम विदाई देने पहुंचा।
मिली जानकारी के अनुसार, साजन कुछ महीनों पहले ही अपने गांव से रोजी-रोटी की तलाश में आंध्रप्रदेश गए थे। वहीं मजदूरी के दौरान किसी कारणवश उनकी मौत हो गई। घटना की सूचना मिलने के बाद से ही परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था। शव को गांव लाने की प्रक्रिया में पांच दिन लग गए, जिससे परिजन और भी व्याकुल हो उठे थे।
जब एम्बुलेंस अरार गांव में दाखिल हुई, तो पत्नी, बच्चे और परिजन चीख-पुकार करते हुए शव की ओर दौड़ पड़े। साजन की पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल था। वह बार-बार यही कह रही थी कि अब परिवार का गुजारा कैसे होगा, क्योंकि साजन ही घर का एकमात्र सहारा थे। बच्चों के मासूम चेहरे पर भी पिता को खोने का दर्द साफ झलक रहा था।
गांव के लोग बताते हैं कि साजन मेहनती और मिलनसार इंसान थे। हर सुख-दुख में गांव वालों के साथ खड़े रहते थे। उनके यूं अचानक चले जाने से गांव में शोक की लहर है। ग्रामीणों का कहना है कि परदेश में जाकर काम करने वाले मजदूरों के लिए कोई ठोस सुरक्षा व्यवस्था न होने के कारण अक्सर ऐसे हादसे हो जाते हैं।
शव के गांव पहुंचने के बाद स्थानीय लोगों और रिश्तेदारों ने अंतिम संस्कार की तैयारी शुरू कर दी। चारों ओर माहौल शोकाकुल था। कोई ढांढस बंधा रहा था तो कोई साजन के साथ बिताए पलों को याद कर रहा था।
यह घटना प्रवासी मजदूरों की कठिन जिंदगी की एक झलक भी पेश करती है, जहां रोजी-रोटी की तलाश में घर-परिवार से दूर रहना पड़ता है और कई बार घर वापसी इस तरह दुखद होती है। अरार गांव में अब हर कोई यही दुआ कर रहा है कि साजन की आत्मा को शांति मिले और परिवार को इस असीम दुख को सहने की शक्ति।
-बालकृष्ण कुमार,उजागर मीडिया
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