●खाद की किल्लत और कालाबाजारी से बढ़ी किसानों की चिंता, फसल पर मंडराया खतरा
●सरकारी दर से 100-400 रुपये महंगा मिल रहा खाद, प्रशासन से कार्रवाई की मांग
●महागामा में बारिश के बाद औने पौने दाम के साथ खाद की कालाबाजारी,किसानों पर बढ़ा बोझ
गोड्डा:महागामा प्रखंड क्षेत्र में बारिश शुरू होने के साथ ही किसानों की परेशानियां बढ़ गई हैं। खेतों में समय पर खाद डालना जरूरी है,लेकिन बाजार में खाद औने-पौने दामों पर बिक रहा है। स्थिति यह है कि विक्रेता मनमाने दाम वसूल रहे हैं, जिससे किसानों की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है।किसानों ने बताया कि बारिश के इस समय धान की फसल को पोषण देने के लिए एक-दो बार और खाद डालना बाकी है।
मगर बढ़ती कीमतों ने चिंता दोगुनी कर दी है। सरकारी दर 266 रुपये प्रति बैग तय यूरिया खाद बाजार में 370 से 400 रुपये तक बेची जा रही है। वहीं डीएपी खाद, जिसकी सामान्य कीमत 1350 रुपये थी, वह अब 1500 से 1800 रुपये प्रति बैग तक पहुंच गई है। अचानक दाम बढ़ने से किसानों को अपनी खेती की लागत में भारी इजाफा झेलना पड़ रहा है।
किसानों ने साफ कहा कि यदि समय पर और उचित दाम पर खाद उपलब्ध नहीं हुआ तो फसल की पैदावार पर असर पड़ सकता है।स्थानीय लोगों का कहना है कि हर साल इसी तरह बारिश के मौसम में मनमाने दाम, खाद की किल्लत और कालाबाजारी देखने को मिलती है,लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि खाद की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित कराई जाए और कालाबाजारी पर रोक लगाने के लिए कड़ी कार्रवाई की जाए।
-जावेद रजा,ब्यूरो रिपोर्टउजागर मीडिया
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