गोड्डा। झारखंड सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा आलिम-फाजिल डिग्री को असंवैधानिक ठहराए जाने और मान्यता समाप्त करने की आशंका के खिलाफ मंगलवार को महागामा प्रखंड के दिग्घी स्थित मदरसा में विशाल बैठक आयोजित की गई। इसमें रांची, दुमका, जामताड़ा, साहिबगंज, पाकुड़ सहित कई जिलों से हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए।
बैठक की अध्यक्षता मदरसा शिक्षक संघ के महासचिव हामिदुल गाजी ने की जबकि संचालन आयज अशद ने किया। मुख्य अतिथि झारखंड छात्र संघ के अध्यक्ष एस अली ने कहा कि शिक्षा विभाग लगातार मुस्लिम समुदाय की शैक्षणिक व्यवस्था पर हमला कर रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि पहले 544 सरकारी उर्दू स्कूलों का दर्जा घटाया गया, फिर हजारों पद सरेंडर कर दिए गए और अब आलिम-फाजिल डिग्री को समाप्त करने की कोशिश हो रही है।
एस अली ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने मान्यता समाप्त की तो राज्यव्यापी आंदोलन छेड़ा जाएगा। उन्होंने मांग रखी कि झारखंड एकेडमिक काउंसिल (JAC) द्वारा वर्ष 2023 तक दी गई आलिम-फाजिल डिग्री को राज्य कैबिनेट से वैधानिक मान्यता दी जाए। साथ ही सहायक आचार्य भाषा पद की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने, विश्वविद्यालयों से आलिम-फाजिल की परीक्षा आयोजित करने और बिहार मदरसा बोर्ड की तर्ज पर मौलवी स्तर पर कला, विज्ञान एवं वाणिज्य की पढ़ाई शुरू करने की बात कही।
बैठक में यह भी प्रस्ताव पारित हुआ कि राज्य में मदरसा बोर्ड का गठन शीघ्र किया जाए और सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में उर्दू लिपि का विकल्प बहाल हो।
इस मौके अल्पसंख्यक जिला सचिव इकरारुल हसन, जिप सदस्य प्रतिनिधि याहया सिद्क्की,बसंतराय जिप सदस्य अरशद वहाब,एहतिशामूल हक,प्रमुख अंजर अहमद,डॉ जुनेद आलम,सिराजुद्दीन,सैकड़ों लोग आदि मौजूद थे। इसके अलावा गिरिडीह, मधुपुर, जामताड़ा, पाकुड़, साहेबगंज, दुमका और गोड्डा जिलों के बुद्धिजीवी, पंचायत प्रतिनिधि और हजारों की संख्या में ग्रामीण शामिल हुए। बैठक को सफल बनाने में दिग्घी गांव के नौजवानों और बुद्धिजीवियों का विशेष योगदान रहा।
-जावेद रजा,ब्यूरो रिपोर्ट,उजागर मीडिया


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