कहलगाँव। संस्कृत भारती के सक्रिय कार्यकर्ता व लोकप्रिय शिक्षक सह चन्नों निवासी नयन तिवारी ने सावन मास के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारतवर्ष के पंचांग ने हमेशा ही बारहों महीने का महत्त्व बताया है।
किंतु सनातन परंपरा में श्रवण नक्षत्र से युक्त सावन बोलबम के उद्घोष से गुंजायमान होकर पवित्रता और सात्त्विकता का संदेश लेकर अपना अलग ही महत्त्व प्रस्तुत करता है।इस माह में शिवभक्ति में आकण्ठ डूबे नंगे पांव कठिन रास्तों पर चलकर कांवरियों का समूह एवं उनकी आस्था नास्तिकों के मन में भी भक्ति का संचार भर देता है।
इस समय भक्ति में सराबोर सनातन समाज अपने सामर्थ्यानुसार जल व दुग्धाभिषेक के साथ बहुविध रुद्रार्चन करते बाबा भोले को प्रसन्न रखने के लिए जुटे होते हैं।सम्पूर्ण मास भक्ति,आराधना और प्रकृति के रंगों में रंगा दिखाई पड़ता है।रिमझिम बारिस व प्राकृतिक वातावरण मन में उल्लास व उमंग भरता है।
तपती गर्मी से आतप्त जनों को विश्रांति प्रदान करता है।इस माह में भयंकर वर्षा हो कीट पतंगों में सक्रियता बढ़ाती है जिससे मानवों में ईश्वर के प्रति भक्तिभावना बढ़ती है।उमस की तपिश,रिमझिम फुहार,घनघोर घटा,निखरी प्रकृति,इंद्रधनुष सबको मचलने को बेताव कर देता है।मन कल्पनाओं के अथाह सागर में गोता लगाने लगता है।
यह मास भाई बहन के प्रेम व स्नेह का डोर बांधता है साथ ही नवविवाहिता के हाथों में मेंहदी रचाकर अपने प्रियवर का राह देखती है।शिव को सावन व इसमें पड़नेवाली सोमवारी अत्यंत प्रिय है इसी मास में मां पार्वती ने तप कर शिव को पाया,यही वजह है कि भक्त मनवांछित जीवनसाथी तथा सुख समृद्धि के विस्तार के लिए सोमवार का व्रत रखते हैं।
सावन का अर्थ श्रृंगार कर सजी संवरी धरती से है।इस वक्त धरती धान के फसल से हरितिमा ओढ़े सुहानी सुंदरी दिखती है।हमारा मन कल्याणकारी होना चाहिए तभी शिव के कृपापात्र बन सकेंगें।जीवन में जब ये भावना साकार होगी तभी हमारी शिवपूजा सार्थक हो सकेगी।
-बालकृष्ण कुमार ब्यूरो रिपोर्ट कहलगाँव

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