बिहार (बांका): प्रखंड मुख्यालय धोरैया से महज एक किलोमीटर दुर स्थित कुर्मा गॉव में मुगलकालीन शाही ईदगाह स्थित है।
इसका इतिहास बहुत पुराना हैं।
आजादी की लड़ाई के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा कई बैठकों का आयोजन किया गया था।
आजादी के आंदोलन में विश्वप्रसिद्ध इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद के उलेमाओं की सक्रिय भूमिका में जो रेशमी रूमाल आंदोलन शुरू हुआ था। जिस आंदोलन से अंग्रेजों के दांत खट्टे किये गये थे।
उस आंदोलन की चीख चीख कर गवाही देता है मुगलकालीन शाही ईदगाह।
क्योंकि यहॉ पर रेशमी रूमाल आंदोलन के दौरान बैठक हुई थी।
जिसमें मुख्य रूप से शैखूल हिंद मौलाना हुसैन अहमद मदनी के द्वारा इस इलाके के भारतीयों में जोश भरने लिए मुगलकालीन शाही ईदगाह कुर्मा आये हुए थे।
हां वही हुसैन अहमद मदनी जिनके उस्ताद (शिक्षक) कों रेशम पत्र षडयंत्र के दौरान अंग्रेजों ने दोषी करार देते हुए तीन साल की सजा सुनाई ।
अपने शिक्षक के साथ हुसैन अहमद मदनी ने भी जेल जाने की इच्छा जाहिर किया पर वो दोषी नहीं थे ।
वो जेल इसलिए जाना चाहते थे ताकि अपने शिक्षक (उस्ताद )की देखभाल कर सके।
जेल से आने के बाद भारत कों आजाद करने की ठान लिया।
आजादी में हुसैन अहमद मदनी की सक्रिय भूमिकाओ के कारण एक तरह जहां गोरों ने काफी जुल्म ढाया तो वही दूसरी तरफ भारत सरकार ने हुसैन अहमद मदनी को 1954 में पद्मभूषण जैसे देश के सर्वश्रेष्ठ सम्मान से नवाजा और 2012-13 में उनकी स्मृति में भारतीय डाक सेवा द्वारा डाक टिकट भी जारी किया गया हैं।
तथा अन्य महापुरुष भी मुगलकालीन शाही ईदगाह कुर्मा में आजादी की लड़ाई के लिए आये थे और आजादी का बिगुल फूंका था।
यहॉ तक कि जमीयत-उलेमा-मध्यप्रदेश के सचिव रह चुके मरहुम मुस्तफा कमाल कासमी रoअo के शहजादा खिदमते खल्क ट्रस्ट के वरीय सचिव मुजफ्फर कमाल कहते हैं
कि आजादी की लड़ाई के दौरान खान गफ्फार खां (महात्मा गांधीजी के करीबी साथी और सलाहकारों में से एक जिसे अपने कार्य और निष्ठा के कारण सरहदी गांधी , सीमांत गांधी , बच्चा गांधी और बादशाह गांधी के नाम से जाने जाते थे।
भी मुगलकालीन शाही ईदगाह कुर्मा आए थे । पर हमने इसकी पुष्टि नही की है ।
बकौल मुजफ्फर कमाल ने कहां कि मुझे मौलाना नियाज साहब जो चंपानगर (भागलपुर )निवासी हैं उसने खान गफ्फार खाँ के आने कि बात कही है।
सही मायने में मुगलकालीन शाही ईदगाह कुर्मा , धोरैया प्रखंड में धोरैया प्रखंड वासी और जिलावासियों के साथ-साथ सीमावर्ती राज्य झारखंड के लिए गौरव की बात हैं ।
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कलम से ✍️-Gulfaraz Alam Khalk
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