हनवारा : जब ग्रामीण जनता पानी के लिए दर दर भटकने लगे तो उस पंचायत के जनप्रतिनिधियों, पंचायत प्रशासन एवं पेयजलापूर्ति को जरा सा तरस ना आए तो किस काम का गांव की सरकार और विभाग। आखिर जनता किस लिए अपना गांव की सरकार को बनाते है, यही दिन देखने के लिए।
इस विकट परिस्थितियों में पंचायत प्रशासन वाह वाही लूटने की होड़ में लगे हुए है, लेकिन ग्रामीण जनता की समस्याओं का समाधान करने के लिए एक कदम आगे नही बढ़ा रहे है। महागामा प्रखण्ड मुख्यालय स्थित परसा पंचायत के पड़रिया गांव में लगी सोलर जलमीनार खराब पड़ी हुई हैं। इसके कारण लोगों को पीने के पानी के लिए भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
ग्रामीणों ने बताया कि पेयजल की समुचित व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने 14 वें वित्त आयोग की राशि से गत वर्ष ही वेंडर के माध्यम से जलमीनार लगवाई गई थी। पंचायत के मुखिया मैमुना ने तब जलमीनार लगने से लोगों को जल संकट से मुक्ति का भरोसा दिया था लेकिन बीते एक वर्ष से जलमीनार खराब पड़ी है। पंचायत प्रशासन या संबंधित विभाग इसकी सुध नहीं ले रहा है।
जिससे लोगों को पीने के पानी के लिए काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि पड़रिया गांव मे पीने के पानी का एकमात्र साधन उक्त सोलर जलमीनार ही है। इसके खराब हो जाने से स्थानीय ग्रामीणों एवं गृहस्थियों को पानी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है। जबकि उक्त जलमीनार से करीब सौ घरों के लोग पानी ले जाते थे लेकिन जल मीनार खराब होने से लोगों को भारी फजीहत हो रही है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि जल मीनार लगाने में घोर अनियमितता बरती गई है। अनियमितता का आलम यह है कि निर्माण के साथ ही पाइप में लीकेज होना, नल में खराबी आ जाना और सोलर प्लेट का काम करना बंद कर देना आदि समस्याएं उत्पन्न हो गई है। यहां तक कि जलमीनार स्थल में योजना का बोर्ड तक नहीं लगाया गया है। जलमीनार के फाउंडेशन में भी मानकों की अनदेखी की गई है।
निर्माण के दौरान भी ग्रामीणों ने इसपर सवाल उठाया था। जलमीनार के बगल में शोकपिट का निर्माण भी जैसे तैसे किया गया। जल मीनार के ऊपर रखी पानी टंकी बिना किसी सपोर्ट के है। इससे टंकी गिरने की संभावना है। ग्रामीण मु रफीक, मु आरिफ, ललिता देवी, मुन्ना, इरशाद, इस्लाम, करीम एवं जया देवी ने बताया कि मुखिया और पंचायत सचिव से कई बार इसकी शिकायत की गई है।
बताया कि अधिक मुनाफा अर्जित करने के उद्देश्य से जलमीनार की गुणवत्ता के साथ समझौता किया गया है। प्रखंड के अन्य गांवों में बनी जलमीनारों की भी समस्या ऐसी ही है। अगर सूत्रों की बात पर यकीन मानिए तो यह भी कहा जा रहा है कि ज्यादा कमीशन खोरी के कारण ही पंचायत में लगे जलमीनार की हालत ऐसी हुई है। बताया जाता है कि तत्कालीन पंचायत सचिव के साथ साथ नव पदस्थापित पंचायत सचिव भी इसमे वही रवैया अपना रहे है।
नव पदस्थापित पंचायत सेवक सुमन कुमार तो साफ शब्दों में ग्रामीणों को यह बोल देते है कि यह काम मेरे कार्यकाल का नही है इसलिए इसका कोई काम हम नही करवा सकते। जाहिर सी बात आप क्यों करे साहब, कमीशन जो दूसरे को मिला है। भला ऐसा कौन करे, आप तो बाद में आये है ना। ग्रामीणों ने इसकी उच्च स्तरीय जांच की मांग उपायुक्त भोर सिंह यादव से की है और पेयजल संकट से निजात दिलाने की मांग की हैं।

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